Archana Tiwary

Add To collaction

यादों की पोटली

यादों की पोटली लिए परदेस आ बसी हूं... मृगतृष्णा से बनी इस जिंदगी में.... 

थी चाह जिसे पाने की.... 
पाकर भी उसे कुछ ढूंढ रही हूं..... 
तन्हाई में खोल पोटली चुपके से.... 
मिट्टी की सोंधी महक महसूस कर लेती हूं.... वह सर्द हवा में धूप की तपन आज भी सिहरन भर देती है ....
दरख़्तों पर बैठी कोयल की आवाज ....
यादों के दरवाजों पर दस्तक देती नजर आती है.... 
शोर-शराबे और भागती भीड़ के अनजाने चेहरों में.... 
गुम सी होती जा रही हूं....
 सहेजा है आज भी उन यादों के खजाने को.... 
परदेस में रहकर भी कहीं खोने ना देती मुझे... 
मृगतृष्णा सी बनी इस जिंदगी को खूबसूरत बनाती वो यादों की हसीन पोटली....
अर्चना तिवारी

   10
1 Comments

Vfyjgxbvxfg

06-Apr-2021 04:08 PM

बिल्कुल सही लिखा आपने😊👌

Reply